अच्छी वर्षा एवं बेहतर फसल के लिए गांव-गांव में हो रही है कठोरी व धरती की पूजा कर…..हाईटेक न्यूज़
छत्तीसगढ़ हाईटेक न्यूज़ सरगुजा रिपोर्ट / 27/अप्रैल /2025 ग्राम पंचायत रामनगर एवं सरगुजा अंचल के अनेकों पंचायतों में अच्छी बारिश एवं अच्छी पैदावार होने के साथ -साथ लोग निरोग रहे इस कामना के साथ सरगुजा संभाग के सभी ग्राम पंचायत मे ग्रामीणों द्वारा कठोंरी पूजा एवं मेघवर पूजा धूमधाम से किया जा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि…
ग्रामीणों द्वारा महादेव एवं ग्राम के देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर सांकेतिक जोताई एवं पांच-पांच मुट्ठी धान बोकर कृषि कार्य की सुरवात की जाती है..।
किसने की लंबी समय से यह परंपरा रही है खरीफ फसल की खेती से पहले यह कस्तूरी पूजा का आयोजन विशेष रूप से किया जाता है। वैसे गांव में अभी भी कई है ऐसी मान्यताएं एवं परंपराएं जीवित हैं । इन्हीं में से एक है कटोरी पूजा जिसके लिए किसानों को बेसब्री से इंतजार रहता है एवं हर्ष उल्लास के साथ यह कटोरी पूजा मनाया जाता है.।
इससे किसान पर्याप्त वर्षा एवं बेहतर फसल के लिए ग्राम देवता,महादेव, मेघ देवता, धरती माता जैसे तमाम मान्यताओं का पूजा अर्चना करते हैं।
इस पूजा की विशेष सामग्री



परंपरा के अनुसार गांव से चंदा इकट्ठा कर.. बैगा के लिए एक धोती,5नग नारियल, सिंदूर,घी चावल से बना कोसना दारू, जिसे राइस बियर भी कहा जाता है।जैसे पूजा की तमाम सामग्री लगती है..
ग्रामीणों द्वारा अपने घरों से ले गए विशेष पूजा में सम्मिलित होने वाली सामान


किसान अपने साथ बात से बने टोकरी जिसको, स्थानीय भाषा में मोरा कहते हैं। जिसमें हाल में लगने वाला नौकिली लोहा, के साथ हल चलाते समय हांकने वाला पैना, ₹1 तथा ₹5 के सिक्के, धूब घास जैसे सामग्री सभी ग्रामीणों द्वारा ले जाया जाता है.। सांकेतिक रूप से जुटाए एवं बुवाई के कार्य शुरू होने से पहले यह कटोरी पूजा मना कर उत्साह पूर्वक कृषि कार्य आरंभ करते हैं….।
यह भी रहती है विशेषताएं
कठोंरी पूजा के दिन ग्रामीणों द्वारा कुएं एवं नल से पानी नहीं भरा जाता है..। कठोंरी होने से एक संध्या पहले पहले आवश्यकता अनुसार पानी भर लिया जाता है।ग्रामीणों के अनुसारकटोरी पूजा जब तक समाप्त न हो जाए तब तक के लिए कुआ तालाब एवं अन्य जलाशय से पानी भरना अशुभ माना जाता है।कटोरी पूजा होने के बाद नए घड़े मे पूजा किया हुआ पानी को पूरे गांव में बांटा जाता है..।
पूजा अर्चना के बाद बायर नाच का भी विशेष महत्व
इस तरह ग्रामीणों द्वारा महादेव की पूजा कर बायर नाचा या कई जगहों पर इसको डोमकच नाचा भी कहाँ जाता है जिसमें सभी ग्रामीणों द्वारा हंसी-खुशी यह त्यौहार को मना कर विशेष रूप से नाच गाना का आयोजन करके एक कुशल किसान एवं परंपरा को आगे की ओर ले जाने का कार्य करते आ रहे हैं

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